ग्रामीण गौरव: कहानी खेतों से उड़ानों तक
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🌾 ग्रामीण गौरव: खेतों से उड़ानों तक की कहानी
सहजनवा के एक छोटे से गाँव धनपुर (कल्पनिक Name) में रामलाल नामक एक मेहनती किसान रहते थे। उनके तीन बेटे थे — अर्जुन, विक्रम और छोटू। रामलाल ने जीवन भर मिट्टी से सोना उगाया, लेकिन उनका सपना था कि उनके बेटे खेतों से आगे बढ़कर देश का नाम रोशन करें।
एक दिन, रामलाल ने अपने बड़े बेटे अर्जुन को खेत में काम करते हुए बुलाया और कहा:
"बेटा, खेत की मिट्टी हमें मेहनत करना सिखाती है, लेकिन उड़ान भरने के लिए पढ़ाई जरूरी है। अगर तू आत्मनिर्भर बनना चाहता है, तो किताबों को अपना हल बना और सपनों को बीज की तरह बो।"
अर्जुन ने उस दिन से ठान लिया — वह पढ़ेगा, लड़ेगा और कुछ बड़ा करेगा। गाँव के सरकारी स्कूल से शुरू करके, उसने दिन-रात मेहनत की। खेतों में काम करने के बाद, वह लालटेन की रोशनी में पढ़ता था।
सालों की तपस्या के बाद, अर्जुन का चयन भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) में हो गया। जब गाँव में यह खबर आई, तो हर घर में दीया जला, हर आँख में गर्व था।
अब अर्जुन जब यूनिफॉर्म में गाँव आता है, बच्चे उसे देखकर कहते हैं:
"हम भी अर्जुन भैया जैसे बनेंगे!"
गाँव के लोग उसे "गौरव धनपुर" कहते हैं। रामलाल की आँखों में आँसू होते हैं, लेकिन वो आँसू गर्व के होते हैं।
✨ सीख:
"जहाँ चाह वहाँ राह। आत्मनिर्भरता की शुरुआत खेतों से भी हो सकती है, अगर इरादा मजबूत हो।"